Healthy Tips: आज के समय में एक बड़ी आबादी बैठकर काम करती है और इस वजह से नौ घंटे की शिफ्ट में करीब आठ घंटे तक बैठकर (chair sitting disease) काम करना पड़ता है। इस दौरान हम बहुत कम शारीरिक गतिविधियां करते हैं, इसलिए यह सेहत के लिए बहुत हानिकारक है और आप कई बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। लंबे समय तक किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि बैठने से न सिर्फ बीमारियों का खतरा बढ़ता है, बल्कि इससे मरने का खतरा भी बढ़ जाता है।
Healthy Tips
लोगों को डेस्क जॉब करना सबसे आसान और आरामदायक काम लगता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि लगातार 9 घंटे तक कुर्सी पर बैठे रहने से आपकी सेहत पर कितना असर पड़ता है। वैसे तो हम बैठकर काम कर रहे हैं, लेकिन बैठने की नौकरी को गतिहीन जीवनशैली माना जाता है। आज के दौर में बड़ी संख्या में लोग बैठे-बैठे नौकरी कर रहे हैं और इसकी वजह से लोगों को कई तरह की बीमारियां (chair sitting disease) घेर रही हैं। आइए जानते हैं कि लंबे समय तक कुर्सी पर बैठने से क्या समस्याएं हो सकती हैं।
कुर्सी पर बैठे रहने से हो सकती हैं ये गंभीर बीमारियाँ
वजन बढ़ना और मोटापा
गतिहीन जीवनशैली अक्सर वजन बढ़ने और मोटापे का कारण बनती है, जो दोनों ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं और कोरोनरी धमनी रोग का कारण बनते हैं। लगातार 9 घंटे तक कुर्सी पर बैठे रहने से शरीर में वसा की मात्रा भी बढ़ जाती है। इसके कारण लोग मोटापे का शिकार हो जाते हैं। एक ही जगह पर बैठे रहने से लिपोप्रोटीन लाइपेज के अणु रिलीज नहीं हो पाते, जिससे जगह-जगह फैट जमा होने लगता है।
खराब कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना
गतिहीन जीवनशैली खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकती है। इतना ही नहीं, यह हाई डेंसिटी लिपिड कोलेस्ट्रॉल यानी अच्छे कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है, जो शरीर को नुकसान (chair sitting disease) पहुंचाता है।
हाई बी.पी.
गतिहीन जीवनशैली उच्च रक्तचाप का कारण बनती है, जो एक और बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने से भी हाई बीपी होता है। हाई बीपी के कारण धमनियों की दीवारों पर खून का दबाव लगातार बहुत अधिक रहता है। रक्त पंप करने के लिए हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इससे दिल का दौरा पड़ (chair sitting disease) सकता है।
डायबिटीज
अगर आप लंबे समय तक कुर्सी पर बैठे रहते हैं तो डायबिटीज का खतरा काफी बढ़ जाता है। बैठने की नौकरी से इंसुलिन का उत्पादन कम हो सकता है और रक्त शर्करा बढ़ (chair sitting disease) सकती है। शरीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो सकता है और इससे शरीर मधुमेह के प्रति संवेदनशील हो सकता है।
मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द
लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहने से शरीर के निचले हिस्से की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। पैर की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। कम सक्रियता के कारण ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा कंधे और गर्दन झुकने से भी सर्वाइकल दर्द शुरू (chair sitting disease) हो जाता है।
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